उसका ही अपमान करते हो uska hi apmaan Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

उसका ही अपमान करते हो uska hi apmaan

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उसका ही अपमान करते हो

क्यों कहेना ऐसे बोल?
जिसका कोई ना हो तोल
माँ की ममता बस इतने में ही सिमट गयी?
अपने बच्चों के कतल में भी दिखावट आ गयी!

जालिमों के प्रति अभी भी आपका रुख साफ़ नहीं
अपने बच्चों की मौत में भी रुआब वही!
कोई भी माँ ऐसे कैसे सोच सकती है?
'पडोसी मुल्क के बच्चे आतन्क्वादियों से मरे' वैसा कैसे कह सकती है?

पूरा मुल्क शोक में डूबा रहा
आपके दुःख में पूरा भागिदार बना रहा
हमारे लोग इतने विचलित हुए की बता नहीं सकते?
आप जो है की जहर उगलते नहीं रुकते

आपके रुदन से दुनिया रुक जानी चाहिए थी
मां के श्राप से पानीका बहाब रुक जाना चाहिए था
लेकिन क्या करें? आजकल बदलाव आ गया है
'अपने बच्चों की मौत में भी ' आपका बर्ताव नजर आ गया है

आप अपने ही धर्म और मुल्क को बर्बाद करते रहेंगे
लोग इतना कोसेंगे की चेहरा छुपाकर सहते रहेंगे
ये नफरत की आग आप सबको कहीं का नहीं छोड़ेंगी


आप सब लोग बेबसी से मौत का खेल देखती रहेगी।

आपकी एक महिल संचालक रो रही थी
हम सब यहाँ पर भावुक होकर रो रहे थे
'में आज कुछ नहीं बोलूंगी'कहकर बार बार सिसकियाँ भर रही थी
'मुझे मालूम है ' कुछ दिन बाद हम फिर रोकर ये दोहरा रही होगी

हमारे बच्चों वो जालिम लोग मार देते
तो क्या आप का दिल ख़ुशी से भर जाता?
एक माँ का दिल इतना बचकाना कैसे हो सकता है?
किसी के साथ भी ऐसा हो जाय तो कोई भी औरत का बयान ऐसे कैसे हो सकता है?

'खुदा महेरबान तो गधा पहलवान' यह पंक्ति हमने कई बार सुनी है
रही सही आबरुपर भी आप लोग तौहीन करने तुली है
'इस्लाम जो इतना पवित्र और राहनुमा है' क्या आप इतना ही सन्मान करती है
'जो बची रसूल को भी इतने ही प्यारे थे' उसका ही अपमान करते हो

'खुदा महेरबान तो गधा पहलवान' यह पंक्ति हमने कई बार सुनी है
रही सही आबरुपर भी आप लोग तौहीन करने तुली है
'इस्लाम जो इतना पवित्र और राहनुमा है' क्या आप इतना ही सन्मान करती है
'जो बची रसूल को भी इतने ही प्यारे थे' उसका ही अपमान करते हो

Thursday, December 25, 2014
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 25 December 2014

उसका ही अपमान करते हो क्यों कहेना ऐसे बोल? जिसका कोई ना हो तोल माँ की ममता बस इतने में ही सिमट गयी? अपने बच्चों के कतल में भी दिखावट आ गयी!

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Mehta Hasmukh Amathalal 25 December 2014

welcome Alpa Suba, Patel Rasmi Just now · Edited · Unlike · 1

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Mehta Hasmukh Amathalal 25 December 2014

welcome Stuti Nayak like this. Just now · Edited · Unlike · 1

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Mehta Hasmukh Amathalal 25 December 2014

Hasmukh Mehta welcome แทนขวัญ พอใจ Just now · Unlike · 1

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Mehta Hasmukh Amathalal 25 December 2014

แทนขวัญ พอใจ and Stuti Nayak like this. Hasmukh Mehta welcome Just now · Unlike · 1

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Rajnish Manga 25 December 2014

आपके मन का आक्रोश समझ में आता है. यह हम लोगों का ओछापन ही तो है जो हमें अपने और पराये के वर्गीकरण की ओर ले जाता है. दुःख में भी तेरा-मेरा करने वाले मानवता का अपमान करते हैं. बहुत प्रभावशाली कविता.

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Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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