उसने ख़त में भला लिखा क्या है
नामाबर ये मिटा मिटा क्या है
दिल का ये हाल हो गया क्या है
मिल के बेदर्द से मिला क्या है
दर्द को नींद आई जाती है
क्या हुआ कोई जानता क्या है
एक ही बात सौ फ़साने हैं
क्यों ये बदली हुई फिजा क्या है
वो है तहदार कुछ नहीं खुलता
पीने वाला है, पारसा क्या है
क्यों है चेहरे पे ऐसा सन्नाटा
राज़ दिल में तेरे छिपा क्या है
मेरे पहलू में फूल खिलते हैं
मोजज़ा ये मेरे खुदा क्या है
ग़म की लज्ज़त का कुछ जवाब नहीं
हसने वाला ये कह गया क्या है
कोई आराइशे जमाल नहीं
आपको आज ये हुवा क्या है
अपना दिल अपने पास ढून्ढ ज़रा
मेरे पहलू में देखता क्या है
मेरे आईनए तसव्वुर में
जगमगाता ये चाँद सा क्या है
ये तो सोचो वही हैं जाने वफ़ा
'जो नहीं जानते वफ़ा क्या है '
इश्क की आग इम्तिहाने वफ़ा
ऐ सुहेल इसमें सोचना क्या है
नामाबर - पत्रवाहक, तहदार - परतों वाला,
आराइशे जमाल - सौंदर्य को सजाना, मोजज़ा - चमत्कार
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem