मेरी निंदियारानी
बहुत ही खूब सूरत है तू मेरी निंदिया रानी
बहुत ही प्यारी मेरीदुलारीहै तू, निंदिया rani
तेरी बाँहों में जब मै खो के सो जाऊ निंदिया रानी
भूल जाऊ सारे दुःख दर्द जहाँ के, मेरी निंदिया रानी
जब जब जागूं मन में छाये चिंता के परछाये,
मन दौड़े दुनिया केजंजालोमें चैन कभी न पाऊ
कितना भी दुःख आये जब जब इंसानोंकेलक (भाग्य)में
जब वो खो जाये तुझमेवो तब चैन पाए सिर्फतुझमे
थके हारे इन्सानऔर पंछीको भी देती है चैन तू ही
कभी न रूठनातू मुझसेचाहे कुछ भी हो जाये
तेरीगोद में खो केमै तो सपन सलोनेsajaau
जो न देखू उजाले दिन में वो चहरे सपनोंमेंदेख मै पाऊं...
मम्मी डैडी छोड़ गए जो, पर तू ले आतीहै पास उन्हें,
तू वो करती जो न कर सके कोई, देकर सपन सलोने
मन के दुःख कोमै भूल ही jaunजब मम्मी पापा का साथ मै paun..
इसलिएसबसे प्यारी है तू मेरी निंदिया रानी.......
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मनुष्य के जीवन में नींद का क्या महत्त्व है, इस कविता के ज़रिये भली प्रकार समझाया गया है. थकावट तथा तनाव को दूर करके हमें तरोताजा करती है और सपनों में कभी कभी बिछड़े हुए प्रियजनों से मुलाक़ात भी करवाती है. सुन्दर विचारों से सजी एक श्रेष्ठ कविता. धन्यवाद बहन.
Bahut bahut dhanyvad bhai..kavita ko shreshth kahkar Jo aapne use navaza hai iske liye bahut aabhari hun.
Thanks aloft bhai..meri kavita par utkrisht vichar aapne yahan rakhe iske liye tahe dil se aapki aabhari hun.