मेरे आक़ा की आँखों का तारा हुसैन
दीने अहमद को सबसे है प्यारा हुसैन
इस जहां को है तुमने सँवारा हुसैन
कोई सानी नहीं है तुम्हारा हुसैन
कौन कहता है बेकस-ओ-लाचार हूँ मैं
जब जहाँ में है मेरा सहारा हुसैन
रहमते रब आग़ोश में ले लेती है
नाम जब जब तुम्हारा पुकारा हुसैन
इस जहां को है तुमने सँवारा हुसैन
कोई सानी नहीं है तुम्हारा हुसैन
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A beautiful poem.....thank you for sharing :)