याद आती है... Yaad Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

याद आती है... Yaad

याद आती है
सोमवार, २४ दिसंबर २०१८

माँ तेरी बहुत याद आ रही
मानो तेरी छवि प्रकट हो रही
तू कुछ कहना चाहती है मुझ से
पर कह नहीं पाती है खुद से।

तेरा वो हाथ
सदा देता वहाल का साथ
तेरा सरपर हाथ रखकर मुझे पूछना
बस बनाता हर सुख अपना।

तेरी आँखों से आंसुओ का गिरना
मुझे भी ला देता था रोना
मुझे याद है तू मुझ पर गुरुर करती
मेरी "देशसेवां" को गर्मजोशी से कहा करती।

"तेरा बेटा शूरवीर है"
लोग यह कहकर माँ को मान देते
माँ भी बड़े छाव से उसका एहसास करती
मुझे इस की यह बात बहुत भाती।

आज वो नहीं है हमारे बिच
पर उसकी बहुतसी बात ला देती है खिंच
उसका वात्सल्य भरा चेहरा मुझे बहुत कुछ कह जाता है
बचपन की याद दिमाग को ताजा कर देती है।

हसमुख मेहता

याद आती है... Yaad
Monday, December 24, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 24 December 2018

आज वो नहीं है हमारे बिच पर उसकी बहुत सी बात ला देती है खिंच उसका वात्सल्य भरा चेहरा मुझे बहुत कुछ कह जाता है बचपन की याद दिमाग को ताजा कर देती है। Aabhaar: rhea हसमुख मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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