ये सब ठीक नहीं
मंगलवार, ३० मई २०१८
आप भले ही भावनामेबह जाओ
किसी के बहकावे में आ जाओ
नदी का प्रवाह नहीं बदल सकते
अपने स्वभाव को भी नहीं बदल सकते।
कोई कितना भी झुल्म कर ले
और अपनी मनमानी कर ले
उसका जाना तय है
उसका क्षय होना निश्चित है।
फिर चाहे वो कोई व्यक्ति है
या प्रदेश की सरकार का मुखिया है
यदि होंसले बुलंद और निति साफ़ है
फिर कोई भी साजिश खिलाफ, टिक नही सकती है।
हमारे यही जानपर बन आई है
सभी विरोधी दलों पर शामत छाई है
एक बनकर मोर्चा सम्हालने जा रहे है
मनसूबे में खोट है, फिर भी दिखावा कर रहे है।
एक ही "सिकंदर" भारत देश की शान है
उसका साधारण सासा परिवार या खानदान है
उसका मकसद देश को ऊपर लाना है
यही उद्देश्य इनको नीचे गिराता है।
चार साल में उनको जादुई चिराग चाहिए
सत्तर सालों के कीचड़ को एक दिन में साफ़ करना चाहिए
देश के भीतर कोई असंतोष नहीं
जनता को पता है ये सब ठीक नहीं।
हसमुख अमथालाल मेहता
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