योग विद्या का जग का, गुरु रहा है भारत
बना अग्रणी सदियों से, रखे स्वयं महारत
रखे स्वयं महारत, जाना रखना संतुलन
सुचारु चलने हेतु, तन, मन, बुद्धि औ जीवन
वृद्धि आत्मिक शक्ति में, तन-मन रखे निरोग
बड़ा निराला यन्त्र, आत्म नियंत्रण का; योग
(C) एस० डी० तिवारी
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