'इन्तहा हो गयी अब रुक जा
एक पल ठहर् जा
सोचो, अगर वही नही तो
फिर कौन?
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वो हैं आसमान और मैं हूँ ज़मीन
दिखता दूर मिलन पर हो ऩही
फिर भी एक आस है
वो मेरे साथ है
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बसंत की मदहोश हवाओं ने
कुछ याद दिलाया होगा आज फिर
रिमझिम की बारिश
कभी गिरती कभी रुकती
...