वो तुम ही तो हो 4.7.15- 10.05 PM
वो सुबह का नज़ारा रवि का फव्वारा
हवा भी निराली सारे जहां की माली
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हाँ..! तुम अंधे हो 3.6.16—8.18 AM
हाँ..! तुम अंधे हो!
तुमको दिखता नहीं है!
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कि मैं सही हूँ..8.6.15—9.17PM
सच और झूठ का झगड़ा हो गया
अस्तित्व बचाने का रगड़ा हो गया
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कभी तुम मिल पाते 15.4.16- 10.33 AM
कभी तुम मिल पाते तो कैसा होता
नज़रें मुझसे मिलाते तो कैसा होता
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हम आज़ाद है! 1.2.16-12.19
कोयल……………!
तूँ किसको पुकारती है
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माँ आज तू
कहाँ है.............31-7-15—10.35 AM
तूँ तो चली आती थी
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A-153 पराया हाथ 26.3.16—5.29 AM
अपनों का साथ हो एक पराया हाथ हो
कौन छोड़े भला जब उनसे मुलाक़ात हो
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A-154 माफ़ कर दो मुझे..26-4-15—1.54 PM
माफ़ कर दो मुझे मेरी ग़फ़लत के लिए
सजा भी मुकर्रर कर दो नफ़रत के लिए
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A-155 एक कदम 13.1.16—10.01 PM
एक कदम की बात का रंग
वही तो है विश्वास का अंग
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A-157 तेरी फ़ितरत 16-5-15—3.05 AMx
मेरा मज़हब भी तुम मेरा सम्मान भी तुम
मेरा रूतबा भी तुम मेरी मेहमान भी तुम
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