Dr. Navin Kumar Upadhyay Poems

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142.
मुहब्बत ऐसा कर ही देता

144.
सागर की लहरों

हर अदा में तेरे अपनापन आता नजर,
चाहे तुम कभी न लेते मेरी खोज खबर,
लगता तुमको कभी न मतलब मुझसे,
लेकिन रखते हो हमेशा हम पर नजर ।
...

146.
सच यह, हम उनके लिए

147.
हमने आसमां से चाँद

148.
लोग रात में चाँद

150.
श्याम कर धराना था,

श्याम कर धराना था,
श्याम अधर पधराना था,
गोपियों को बुलाना था,
गोप रमणियों को ललचाना था,
...

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