हर अदा में तेरे अपनापन आता नजर,
चाहे तुम कभी न लेते मेरी खोज खबर,
लगता तुमको कभी न मतलब मुझसे,
लेकिन रखते हो हमेशा हम पर नजर ।
कभी ख्याल कभी ख्वाब में आ ही जाते,
भुलाने की कोशिश पर भी भुला न पाते,
सोने की कवायद करने पर तुम जगा देते,
एक झलक मिलने पर मिट जाता कहर।
कैसे कहूँ कि मेरा-तेरा न मिला था जोड़ा,
रात भर बिछावन पसारने में हुआ सबेरा,
आज मिलन हुआ क्या कर सकता अब,
"नवीन"बिधाता ने था बनाया यही बसेरा।
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