हर अदा में तेरे अपनापन आता नजर, Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

हर अदा में तेरे अपनापन आता नजर,

हर अदा में तेरे अपनापन आता नजर,
चाहे तुम कभी न लेते मेरी खोज खबर,
लगता तुमको कभी न मतलब मुझसे,
लेकिन रखते हो हमेशा हम पर नजर ।

कभी ख्याल कभी ख्वाब में आ ही जाते,
भुलाने की कोशिश पर भी भुला न पाते,
सोने की कवायद करने पर तुम जगा देते,
एक झलक मिलने पर मिट जाता कहर।

कैसे कहूँ कि मेरा-तेरा न मिला था जोड़ा,
रात भर बिछावन पसारने में हुआ सबेरा,
आज मिलन हुआ क्या कर सकता अब,
"नवीन"बिधाता ने था बनाया यही बसेरा।

Thursday, August 9, 2018
Topic(s) of this poem: love
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