सागर की लहरों Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

सागर की लहरों

सागर की लहरों को देखा, पाया न उतना खुमार तरँगों में,
जितना पाया फेसबुक पर, सभी के भाव रस-रँगो में।

Thursday, August 9, 2018
Topic(s) of this poem: love
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