सत्ता सब समय सबमें रहती Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

सत्ता सब समय सबमें रहती

सत्ता सब समय सबमें रहती सदा रहता विद्यमान,
भावना पुलकित शरीर में हो जाता दिव्य चैतन्यमान,
आँसू जब बाहर निकलते, बन जाता अधिष्ठाता सव^स्व,
"नवीन"कण-कण रुप प्रकट होता, दीखता देदीप्यमान।

Thursday, August 9, 2018
Topic(s) of this poem: love
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