सत्ता सब समय सबमें रहती सदा रहता विद्यमान,
भावना पुलकित शरीर में हो जाता दिव्य चैतन्यमान,
आँसू जब बाहर निकलते, बन जाता अधिष्ठाता सव^स्व,
"नवीन"कण-कण रुप प्रकट होता, दीखता देदीप्यमान।
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