Dr. Navin Kumar Upadhyay Poems

Hit Title Date Added
161.
हम दुश्मनी रखना चाहते,

164.
साकी! पिलाते रहना

166.
होठों के जाम को देख,

होठों के जाम को देख,
मन ने कहा मुझसे,
इतना नशा कहाँ तुम पाओगे;
पी लो जी भर, जितना पीना है,
...

167.
लोग मयखाने जाकर जाम

168.
शराब के लाल रँग

170.
हर्रफ जो लिखे कागज पर,

हर्रफ जो लिखे कागज पर,
आँसुओं से धुल गये;
इसीलिए सादे कागज तुमको भेज दिये।
तुम भी अपने आँसू उसी पर गिरा लेना;
...

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