Jaideep Joshi Poems

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1.
Childhood Lost

Lost! Lost! ! Lost! ! !
A Childhood
Pure, Innocent and Priceless
Lost
...

2.
They Think Differently

When two nations decide to fight
so as to test their might,
and satiate their false pride;
The soldiers have no fright;
...

3.
अमरगान

माना जीवन क्षणभंगुर है, (पर) सबमें अमरत्व का अंकुर है।

कहते हैं जिन्हें हम अमर यहाँ, है देह तो उनकी पंचभूत;
उनकी कर्म-कस्तूरी की महक से किन्तु, है हर मानस-चित्त अभिभूत।
...

ज़िन्दगी ज़िन्दादिली का नाम है।
मुर्ददिल क्या खाक़ जिया करते हैं।।

सर पर जूनून, दिल में हौसला लिए,
दीवाने नामुमकिन को आसान किया करते हैं।
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5.
तो मानो कि होली है

अबीर उड़े, गुलाल उड़े, आशाओं की रंगोली है।
प्रेम रंग में जो रंग जाओ, तो मानो कि होली है।।

छेड़छाड़ है, हंसी हैं ताने, हास्य-विनोद, ठिठोली है।
वैर-द्वेष को फूंक जो डालो, तो मानो कि होली है।।
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6.
Wild Wild World

Prides of lions
Packs of wolves
Bees’ swarms
Deer’s herds
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7.
Sliver Of Time

When the dawn arrives, riding the steed of hope
to inveigle us to the realm of exertion,
and the body proceeds quietly
from sloth to vigour;
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8.
अहा! बचपन के वो दिन

अहा! बचपन के वो दिन।

खेलकूद जब दोष नहीं था,
सिर पर बस्ते का बोझ नहीं था,
धुर मस्ती में दिन थे गुज़रते,
रातें कटती थीं तारे गिन।
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9.
ज्योति पर्व

दीपों की शुभ ज्योति श्रृंखला ने
ध्वस्त किया तिमिर का गर्व;
अमावस्या की रात्रि को उजला
करने आया फिर दीपावली पर्व।
...

10.
प्रथम फुहार

श्यामल मेघों से आप्त नभ, तरसे मन को हर्षाता है;
भीषण गर्मी के ताप को हरने, वर्षा के मौसम आता है।

सूखे पेड़ों की तप्त देह पर, यौवन की मस्ती फलती है;
वर्षा की प्रथम फुहार से तृप्त, मिटटी भी कस्तूरी लगती है।
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