सारे सुर फीके लगते है
भाता कोई मीत नहीं है
तुम थे तो संगीत मधुर था
तुम नहीं तो कोई गीत नहीं है
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जहाँ भी गए हो चले आओ अब
की वो उम्मीद जो जाते समय
मेरे आँचल में रखकर चले गए थे
वो तुम्हारे इंतज़ार में मुरझाने लगी है
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वक़्त से जुड़ गए रूह से मेरी जुड़े तो नहीं हो
तुम मुझे जितने मयस्सर हो पूरे तो नहीं हो
हमने तो हर शय में तमन्ना की तुम्हे चाहने की
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