आसमान से आती बूंदे,
सबका मन हर्षाती बूंदे.
बादल ढोल बजाते ढम - ढम,
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सावन आया, सावन आया,
बच्चा बच्चा बोला,
बरखा काँधे पर रख कर,
लायी बूंदों का झोला.
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रे ख़यालों में मैं अपनी दुनिया सजाता गया,
जब तुझे मेरा ख्याल आया तो वक़्त गुजर गया|
सर्दियो की रातों में तू ठंड बनकर थी मेरे पास,
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आसमान से आती बूंदे
आसमान से आती बूंदे,
सबका मन हर्षाती बूंदे.
बादल ढोल बजाते ढम - ढम,
रिमझिम - रिमझिम गाती बूंदे.
सूखे सरोवर, नदी - नालों को,
पल भर में भर जाती बूंदे.
नए - नए फूल-पत्तों से,
\'भू\' की मांग सजाती बूंदे.
कभी नहीं इतराती बूंदे,
धरा की प्यास बुझाती बूंदे