आसमान से आती बूंदे Poem by Mr. Shiv Chandra

आसमान से आती बूंदे

आसमान से आती बूंदे,
सबका मन हर्षाती बूंदे.

बादल ढोल बजाते ढम - ढम,
रिमझिम - रिमझिम गाती बूंदे.

सूखे सरोवर, नदी - नालों को,
पल भर में भर जाती बूंदे.

नए - नए फूल-पत्तों से,
\'भू\' की मांग सजाती बूंदे.

कभी नहीं इतराती बूंदे,
धरा की प्यास बुझाती बूंदे

आसमान से आती बूंदे
Wednesday, February 22, 2017
Topic(s) of this poem: poems
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