सावन आया, सावन आया Poem by Mr. Shiv Chandra

सावन आया, सावन आया

सावन आया, सावन आया,
बच्चा बच्चा बोला,
बरखा काँधे पर रख कर,
लायी बूंदों का झोला.

पिहू -पिहू रटे पपीहा,
कोयल करती शोर,
देख सुहाने मौसम को,
वन में नाचे मोर.

नदियों और तालाब किनारे,
मेंढक टर्र -टर्र बोले,
बूंदों को पीने की खातिर,
सीपों ने मुंह खोले.

सीता से बोली राधा -
'आ, बाग में झूला झूलें,
झूल -झूल अपने पैरों से,
नील गगन को छू लें.

गरम चाय के संग बनाए,
माँ ने गरम पकौड़े,
सबने जमकर खाए,
मेरे हिस्से आये थोड़े.

चारों ओर दिखाई देती,
हरियाली ही हरियाली,
हरियाली को देख सभी के,
मुख पर छाई लाली.

सब बच्चों ने मिलकर,
पिकनिक का प्रोग्राम बनाया.
और बगीचों में जाकर,
दिनभर उधम मचाया.
सावन आया सावन आया

सावन आया, सावन आया
Wednesday, February 22, 2017
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