मैं अपनी दुनिया सजाता गया Poem by Mr. Shiv Chandra

मैं अपनी दुनिया सजाता गया

रे ख़यालों में मैं अपनी दुनिया सजाता गया,
जब तुझे मेरा ख्याल आया तो वक़्त गुजर गया|

सर्दियो की रातों में तू ठंड बनकर थी मेरे पास,
कभी तो सामने आएगी जिंदगी की एक मीठी सी प्यास|
कँपकँपाते हाथो से तेरा एहसास छू जाता गया,
जब तुझे मेरा ख्याल आया तो वक़्त गुजर गया|

सर्दी गयी बसंत आया पेड़ पौधे हरे हो गये,
तुम भीनी सी खुशबू बनकर फूल में समा गये|
एक भँवरा पंख फैलाए फूल पे मंडराता रहा,
जब तुझे मेरा ख्याल आया तो वक़्त गुजर गया|

अंगारे बनकर बरशे ऐसे गर्मी के मौसम में तुम,
लाल पीले हो गये थे यादों के गुस्से में तुम|
तेरी यादों के अंगारों में बदन मेरा जलता गया,
जब तुझे मेरा ख्याल आया तो वक़्त गुजर सा गया|

आँखों के आँसू बनकर तुम फिर आए बरसात में,
बिजली दिल में गिरी ऐसे टूट गया मैं ख्वाब में|
कड़कड़ाती बिजली के साथ तेरा साया मुझे रुला गया,
जब तुझे मेरा ख्याल आया तो वक़्त गुजर गया|

टूट के ऐसे बिखर गया तेरे ख़यालों में मैं,
श्राध जैसे हो रहा एहसास ऐसा होने लगा|
पूर्णिमा को भी अब तो मुझको अमावस लगने लगा,
जब तुझे मेरा ख्याल आया तो वक़्त गुजर गया|

Wednesday, February 22, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success