neetta porwal Poems

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कभी-कभी
तुम्हें भनक भी नही होती
और तुम्हारे चारों ओर फैली हरीतिमा
गायब हो जाती है अचानक
...

2.
शरद ऋतु के दिन

हे परमात्मा!
यह वह समय है
जब चरम पर है ताप
...

3.
किसी की प्रिय मत बनो

किसी की प्रिय मत बनो;
बिरादरी से बाहर निकल जाओ।
अपने जीवन के
अंतर्विरोधों को लो
...

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