इंसानियत को शर्मसार करके
बेबस को लाहक़ गिरफ़्तार करके
नफ़रत की दहलीज़ दहशत का साया
कहीं गोली मारी कहीं सर उड़ाया
लुटि माँ की ममता और राखी बहन की
हुई माँग सूनी सुहागन दुल्हन की
ये आलम ए इंसानियत कह रही है
के आदम की औलाद हरगिज़ नहीं है
वह ख़ूँख़ार वहशी है आतंक वादी
जल्लाद दानव लहू का है आदी
बेशर्म बहका रहा नौजवां को
दहला रहा है सारे जहाँ को
जज़्बात की वोह ज़हर घोलता है
ख़िलाफत का खुद को बशर बोलता है
ख़तरा है ज़ालिम से इस्लामियत को
मुहम्मद की उम्मत मुसलमानियत को
उलफ़्त मुहब्बत वहदानियत को
अमन व सकूँ और इंसानियत को
हरगिज़ नहीं है वोह ईमान वाला
वोह जल्लाद ज़ालिम क़हर ढाने वाला
इस्लाम है ज़िंदगानी मुहम्मद
मुसलमान की हैं निशानी मुहम्मद
चलो मिल के आतंक जड़ से मिटाएँ
के नादिर अमन की फिर शम्मा जलाएँ
: नादिर हसनैन
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