याद Poem by Sanjeet Pathak

याद

जब कोई चोट तुम्हे पहुंचाता होगा,
कुछ याद तुम्हे भी आता होगा,
सुना है यादों से लगाव तुम्हे है,
कभी मेरे अन्दर तो देख,
जहाँ तेरी यादों को संभाल रखा है.
कुछ लहरें आती-जाती होंगी,
और तेरे मन को भाती होंगी,
सुना है शौक तुझे लहरों का है,
कभी मेरे अन्दर तो देख,
एक पूरा समंदर का उबाल रखा है.
जब खेल गली में चलता होगा,
मन तेरा भी तो मचलता होगा,
सुना है लोगों से खेलना फितरत तेरी है,
आ, फिर मुझसे खेल,
शौक बर्बादी का अब तक पाल रखा है.

Sunday, April 24, 2016
Topic(s) of this poem: memories
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