तुझमे अब वो बात कहाँ Poem by Sanjeet Pathak

तुझमे अब वो बात कहाँ

बेशक तू बिकती होगी,
तुझमे अब वो बात कहाँ...
प्यार तुझसे अब भी है,
खरीदूँ ये औकात कहाँ...
बिन बोले मैं कह देता था,
तुम आँखों से सुन लेती थी..
जब साथ तुम्हारा होता था,
अब वे दिन और वो रात कहाँ...
प्यार तुझसे अब भी है,
खरीदूँ ये औकात कहाँ...
वो रोज़ तुम्हारा छुप कर मिलना,
रोज़ हमारी लम्बी बातें...
वो सूखी सहमी सी दोपहरी,
वो भिगी-भिगी सी बरसातें...
वो बातें अब वो मुलाकात कहाँ...
बेशक मुझपे अब मरती होगी,
मुझमे अब जज़्बात कहाँ...
प्यार तुझसे अब भी है,
खरीदूँ ये औकात कहाँ...
बदला वक़्त, ख्वाब भी बदला,
तू भी बदली, ‘पाठक' बदला.

खुशियाँ मुट्ठी में होती थी अपने,
अब उन खुशियों का सौगात कहाँ...
बेशक तू बिकती होगी,
तुझमे अब वो बात कहाँ...
प्यार तुझसे अब भी है,
खरीदूँ ये औकात कहाँ...

Sunday, April 24, 2016
Topic(s) of this poem: heartbreak,heartbreaking,love
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