मंदिर देखा, मस्जिद देखा,
राम, इशा, रहमान ना देखा,
इंसानों की इस बस्ती में,
सदियों से कोई इन्सान न देखा.
यहाँ नारी पूजी जाती थी,
उनका कोई पहचान न देखा.
लक्ष्मी, दुर्गा, काली का भी,
अब कोई सम्मान न देखा...
बांटा हिन्दू मुस्लिम बांटा,
बंगाल, बिहार, राजस्थान भी बांटा,
देखा यू.पी., दिल्ली देखा,
इन सब में हिंदुस्तान न देखा.
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem