हिंदुस्तान न देखा Poem by Sanjeet Pathak

हिंदुस्तान न देखा

मंदिर देखा, मस्जिद देखा,
राम, इशा, रहमान ना देखा,
इंसानों की इस बस्ती में,
सदियों से कोई इन्सान न देखा.
यहाँ नारी पूजी जाती थी,
उनका कोई पहचान न देखा.
लक्ष्मी, दुर्गा, काली का भी,
अब कोई सम्मान न देखा...
बांटा हिन्दू मुस्लिम बांटा,
बंगाल, बिहार, राजस्थान भी बांटा,
देखा यू.पी., दिल्ली देखा,
इन सब में हिंदुस्तान न देखा.

Sunday, April 24, 2016
Topic(s) of this poem: indian
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