इश्क़ तुम्हीं से बस दिन रात मैं करता हूँ
ना फ़िक्र किसी की है बस तुमपे मरता हूँ
दिल चाहता है मेरा हर बात को कह डालूं
कैसे कहूँ तुम से कहने से डरता हूँ
ये दुनियां सारी अब मुझे धूल सी लगती है
बना हूँ मैं भंवरा तू फूल सी लगती है
मेरा शीशे सा है दिल कहीं टूट ना ये जाए
यह सोच कर मैं दिन रात आँहें भरता हूँ
मेरे लिए ही तू बन कर आयी है
खुशयों का मौसम भी साथ में लाई है
मेरा दिल रौशन है ये तेरे दिया से ही
बुझा ना दे कोई इस बात से डरता हूँ
दिल अपना गँवा बैठा देखा है तुझे जब से
तुझको भी मुहब्बत हो करता हूँ दुआ रब से
तेरा चाँद सा चेहरा और हर अदा निराली है
क़सम ख़ुदा की मैं इसी बात पे मरता हूँ
मेरी जान मुहब्बत से इनकार नहीं करना
खुशयों से भरे दिल को ग़मख़ार नहीं करना
दीवाना हूँ मैं पागल कहदुंगा ज़माने से
आशिक़ हूँ मैं तेरा तुझे प्यार मैं करता हूँ
By: नादिर हसनैन
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