माँ की शरण Poem by Shakira Nandini

माँ की शरण

Rating: 5.0

दुनिया के दुखों से जीतकर प्रसिद्ध हो गई
इतनी खुशियां मिली कि सब परेशानी दूर हो गई
मैं तो कांच की थी, दुनिया ने पत्थर थे मारे
माँ की शरण में जब आई तो कवहनोर हो गई

माँ की शरण
Tuesday, February 14, 2017
Topic(s) of this poem: religion
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
मेरे हिंदू धर्म स्वीकार करने के बाद मुझे जो दुनिया में सम्मान मिला है, यह इस जभे मैं लिखी है।
जे माँ काली
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