ये बेचैनी बता रही है अब नज़दीक इलेक्शन है Poem by NADIR HASNAIN

ये बेचैनी बता रही है अब नज़दीक इलेक्शन है

Rating: 5.0

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई हर भाई को टेंशन है
ये बेचैनी बता रही है अब नज़दीक इलेक्शन है

मंदिर मस्जिद की क़ुरबानी मज़हब ज़ात में दंगे बाज़ी
देखो तुम तारीख़ उठा कर सबका 'वोट' कनेक्शन है


न्यूज़ रिपोर्टर चैनल पेपर जो थी जनता की आवाज़
आन बान बेख़ौफ़ शान थी, कठपुतली बनगई है आज

सच्चाई पर डाल के पर्दा झूटी ख़बर दिखाते हैं
आक़ाओं की चमचागिरी चमचे ख़ूब निभाते हैं

बेशर्म सियासत की हथ्यार फूंट डाल कर राज करो
जान के भी अनजान है जनता तभी तो आज करप्शन है


ओछी सियासत करनेवालो वीर जवाँ से दूर रहो
अपने हीत के ख़ातिर उनको हरगिज़ न मजबूर करो

देश के रक्छक जांबाजों पर अंगुश्तनुमाई मत करना
तेरी सियासत मिट जाएगी अंजाम बुरा होगा वरना

क्या सर्जीकल हमले को भी वोट बैंक बनाएगा
ठेंस लगी है जनता को अब पैंतरा ना चलपायेगा

अच्छे दिन की जुमले बाज़ी हज़म नहीं होपायी है
एक ओर है तेरे कुंआ दूजी तरफ़ में खाई है

करते हैं दिन रात हिफ़ाज़त वीर हमारे सरहद की
तप्ती धूप में छाओं हो जैसे घने पेड़ से बरगद की

घर से दूर हैं घर वालों से बच्चे बीवी माँ से दूर
डटे हुए हैं सरहद पर दुश्मन को करने चकनाचूर

खड़े हुए हैं डटे हुए हैं जंगल रेत पहाड़ों पर
हिंदुस्तान है चैन से सोता क्योंकी फ़ौज एटेंशन है


नादिर तेरी बात चुभेगी कुछ नादान दरिंदों को
हिटलर शाही चलारहे जो डरा रहे हैं बन्दों को

सोई जनता जाग ना जाए तब तक ना चुप रहना तुम
सच्चाई के साथ रहो हर धर्म ग्रन्थ में मेंशन है


By: नादिर हसनैन

ये बेचैनी बता रही है अब नज़दीक इलेक्शन है
Saturday, October 8, 2016
Topic(s) of this poem: sadness
COMMENTS OF THE POEM
M Asim Nehal 08 October 2016

सियासत में ये आम बात है, दिखावा, झूठे वादे, मीडिया को साथ रखना ये सब अब हद से ज्यादा हो रहा है. पाप और पापी के दिन जल्दी भर जाते हैं, पाप और झूट अधिक समय तक नहीं चलता, कहते हैं न: कुछ समय के लिए आप सभी को उल्लू बना सकते हो, लेकिन हर समय के लिए सभी को उल्लू नहीं बना सकते...विश्वास एक एस धागा है जो एक बार टूट जाये तो जुड़ता ही नहीं...

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