चेहरा देखता हूँ ख्यालों में अपने
वह हर पल मुझे याद आने लगी है
कभी उसकी बातें कभी उसकी यादें
मेरे दिल को बेहद लुभाने लगी है
चेहरा देखता हूँ.....................
जवां है हसीं है वह है खूबसूरत
मेरी आरज़ू वह वही है ज़रुरत
मैं देखूं जिधर भी जहाँ से मैं जाऊं
नज़र हर जगह मुझको आने लगी है
चेहरा देखता हूँ.....................
बहुत ही है प्यारी वह दिल की शिकारी
मेरी ज़िन्दगी वह वही है ख़ुमारी
दिन है गुज़रता ना ढलती है रातें
मुझे नींद में भी सताने लगी है
चेहरा देखता हूँ.....................
वही ज़िन्दगी अब वही मेरी जां है
मेरे यार मेरी अजब दास्ताँ है
वह लेती है साँसें तो रहता हूँ ज़िंदा
लहू बनके नस में समाने लगी है
चेहरा देखता हूँ.....................
: नादिर हसनैन
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