समंदर सारा बह जाता है जब
एक बची बूँद पलकों में रह जाती है जब ।
दिल करता है एक याद छुं कर देखूँ
तो शायद पा लूँ तुझको ।
सुबह भी रात की ख़ामोशी टूटा करती है जब
उन ख्वाबो की असल भी छूटा करती है जब ।
एक जागती जलजली किरण आँखे मूँद लेती है
तेर हर बात सिरहाने रख बिस्तर से उठा जाता है जब ।
इस बेबस मजबूर किताब के कहने को
फिर से दिल करता है तुझसे एक बात कहने को
अरमान बिस्तर में लपेट छोड़ निकलता हूँ जब
फिर एक बार गली में याद कर लेता हूँ तब ।
यूं लगता है जैसे वक़्त के मजबूत कंधो पर
सब ख्वाब लेजाकर छोडूं तो शायद पा लूँ तुझको ।
एक ओर बात कहकर देखूँ तो शायद पा लूँ तुझको ।।
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So emotional poetry............10 U may like to read my poems too.. Naila