आओ रे भाई चलो रे बहना करनी साफ़ सफाई है
स्वच्छ भारत अभियान की अनोखी ये लड़ाई है
बनेगा भारत स्वच्छ हमारा है संकल्प ये लक्ष्य हमारा
होगी दूर हर एक बीमारी स्वच्छता एक दवाई है
लुटे ना इज़्ज़त महिलाओं की डंक ना मारे बिच्छू सांप
बच्चे कुपोषित हैज़ा वैज़ा ज़िम्मेदार हैं हम और आप
माँ बहनों के लिए बनेगा घर में अपने शौचालय
खुले में अब ना शौच करेंगे हमने क़सम ये खाई है
सुनो रे बंधू सुनो रे प्यारे रब का है फरमान हमारे
सेहत का राज़ सफाई है स्वच्छ समाज सफाई है
गली मुहल्ला घर खल्यान बनेगा अब ना कूड़ेदान
बच्चे बूढ़े मर्द व ज़न ने ऐसी फ़िज़ा चलाई है
मिल्लत के ईमान का हिस्सा धर्म ग्रन्थ में है ये लिक्खा
करें इबादत पूजा हम सब स्वच्छ नहीं तो व्यर्थ है ये सब
गंदे लोग से रहते दूर ईश्वर अल्लाह और भगवान्
रब को हम ना रूठने देंगे बात समझ में आई है
यही था गांधी जी का सपना स्वच्छ बने ये भारत अपना
स्वच्छता अपनी हो पहचान चम् चम् चमके हिंदुस्तान
साफ़ सफाई रहेगी हरसू फ़िक्र ना कर ऐ नादिर तू
समझ गया हर भारत वासी ये अनमोल कमाई है
: नादिर हसनैन
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem