आओ रे भाई चलो रे बहना करनी साफ़ सफाई है Poem by NADIR HASNAIN

आओ रे भाई चलो रे बहना करनी साफ़ सफाई है

आओ रे भाई चलो रे बहना करनी साफ़ सफाई है
स्वच्छ भारत अभियान की अनोखी ये लड़ाई है
बनेगा भारत स्वच्छ हमारा है संकल्प ये लक्ष्य हमारा
होगी दूर हर एक बीमारी स्वच्छता एक दवाई है

लुटे ना इज़्ज़त महिलाओं की डंक ना मारे बिच्छू सांप
बच्चे कुपोषित हैज़ा वैज़ा ज़िम्मेदार हैं हम और आप
माँ बहनों के लिए बनेगा घर में अपने शौचालय
खुले में अब ना शौच करेंगे हमने क़सम ये खाई है

सुनो रे बंधू सुनो रे प्यारे रब का है फरमान हमारे
सेहत का राज़ सफाई है स्वच्छ समाज सफाई है
गली मुहल्ला घर खल्यान बनेगा अब ना कूड़ेदान
बच्चे बूढ़े मर्द व ज़न ने ऐसी फ़िज़ा चलाई है

मिल्लत के ईमान का हिस्सा धर्म ग्रन्थ में है ये लिक्खा
करें इबादत पूजा हम सब स्वच्छ नहीं तो व्यर्थ है ये सब
गंदे लोग से रहते दूर ईश्वर अल्लाह और भगवान्
रब को हम ना रूठने देंगे बात समझ में आई है

यही था गांधी जी का सपना स्वच्छ बने ये भारत अपना
स्वच्छता अपनी हो पहचान चम् चम् चमके हिंदुस्तान
साफ़ सफाई रहेगी हरसू फ़िक्र ना कर ऐ नादिर तू
समझ गया हर भारत वासी ये अनमोल कमाई है

: नादिर हसनैन

आओ रे भाई चलो रे बहना करनी साफ़ सफाई है
Thursday, December 22, 2016
Topic(s) of this poem: cleaning
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