साल जा रहा है.......... Poem by sumit jain

साल जा रहा है..........

मन उदास है साल जा रहा है
कई लम्हे साथ छोड़ रहे है
कई ख़्वाहिशें दम तोड़ रही है
कई यादें रह रह कर आरही है
कई खुशियाँ छोड़े जा रहा हु
कई खुश है मुझसे
कई रूठो को मनाना है
कई यो को याद दिलाना है
कई इंतजार में हैं मेरे
कई के इंतजार में हु
इस दिल की व्यथा किसे कहु
उदास है दिल मेरा
क्योकि यह साल चला जा रहा है..............

जैसे जैसे साल जा रहा है
प्यार बढ़ता जा रहा है
मोहब्बत बढती जा रही है
खुशिया मनो थम सी गई है
दिल में न गिले शिकवे है
विश्वास बढ़ता जा रहा है
आंख में सिर्फ नमी सी है
बस हस्त चला जा रहा हु
यह साल चला जा रहा है..............
यह साल चला जा रहा है..............

कोई तो रोक्लो इसे
कोई तो थाम लो वक्त को
समय का चक्र बढ़ता जा रहा है
ये कैसा मोड है जिन्‍दगी
वक्त बदल ता जा रहा है
उम्मीद करते है नए साल में
बेहतर साबित करेंगे खुद को
बेहतर बना देंगे जिंदगी को
यह साल चला जा रहा है..............

Friday, December 23, 2016
Topic(s) of this poem: new year
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