sumit jain Poems

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1.
मौत का दामन थामा

खुशियो के माहोल में जन्मा
हर कोई मुझे खिलाता
सब कि चाहत में बनजाता
कभी में रोता तो कभी में हस्ता
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2.
ईमेल की रेलमपेल

ये युग है डिजिटल का
ऑनलाइन है संसार
इन्टरनेट है मुल्क
ईमेल है एड्रेस हमारा
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3.
साल जा रहा है..........

मन उदास है साल जा रहा है
कई लम्हे साथ छोड़ रहे है
कई ख़्वाहिशें दम तोड़ रही है
कई यादें रह रह कर आरही है
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4.
Email Ki Relampel

ye yug hai digitak ka
online hai sansaar
internet hai mulk
email hai address hamara
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