खुशियो के माहोल में जन्मा
हर कोई मुझे खिलाता
सब कि चाहत में बनजाता
कभी में रोता तो कभी में हस्ता
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ये युग है डिजिटल का
ऑनलाइन है संसार
इन्टरनेट है मुल्क
ईमेल है एड्रेस हमारा
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मन उदास है साल जा रहा है
कई लम्हे साथ छोड़ रहे है
कई ख़्वाहिशें दम तोड़ रही है
कई यादें रह रह कर आरही है
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ye yug hai digitak ka
online hai sansaar
internet hai mulk
email hai address hamara
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मौत का दामन थामा
खुशियो के माहोल में जन्मा
हर कोई मुझे खिलाता
सब कि चाहत में बनजाता
कभी में रोता तो कभी में हस्ता
अपनी ही दुनिया में रम जाता
माँ कि लोरिया सुनते
मेरा बचपन युही गुजर जाता
जब से में जन्मा
तब से मेने मौत का दामन थामा
गर्व से मैं इठलाता जवानी पर
कुछ कर दिखाने कि चाहत है
मानो जोश सा है जिन्दंगी में
में भूल गया हु खुद को इस चकाचौंध में
में भाग रहा हु चंद रुपियो कि चाह में
यहा रिश्ते बनते है और बिगड़ते है
न जाने फस गया हु रिश्तो के भवर में
मानो खुद से आख मिचोली कर रहा हु
न जाने कब समझुंगा,
समय हाथ से निकलता जारहा है
और बुढ़ापा हावी होरहा है
न जाने यह जवानी बीत सी जाती
जब से में जन्मा
तब से मेने मौत का दामन थामा
हाथ जोड़ कर
में खड़ा हु शांत मन से
जीवन कट रहा है यादो से
यादे भी मानो धुंधली होगई
मस्तिष्क भी थक चूका है
कमर भी झुक गई है
यही तो लाचारी है और कमजोरी है
यही तो जीवन कि नियति है
बुढ़ापा सामने खड़ा है,
और पूरा माहौल बदल गया है
जब से में जन्मा
तब से मेने मौत का दामन थामा
में क्यों भूल जाता हु
में जन्मा ही हु बिछड़ ने के लिए
ये रिश्ते नाते सब छलावा है
न तो यह शरीर तुम्हारा है
और न ही तुम इस शरीर के हो
में क्यों नहीं समझ पाया
मौत जीवन का सबसे बड़ा रहस्य है
किन्तु मैं तो आत्मा हूं
मे शारीर से भिन्न हु
एसा यह आत्मा मात्र आत्मा हु
और कुछ नहीं
तो बताओ मै कौन हूँ? ?
मे भगवान आत्मा हु
जब से में जन्मा
तब से मेने मौत का दामन थामा