जोश है जज़्बा कुछ करने का करके हम दिखलाएंगे Poem by NADIR HASNAIN

जोश है जज़्बा कुछ करने का करके हम दिखलाएंगे

जोश है जज़्बा कुछ करने का करके हम दिखलाएंगे
एक नन्हीं सी अभी कलि हैं कल हम गुल बनजाएंगे
माँ की ममता नाज़ करेगी फख्र करेगा देश
छू कर हम उस नीले गगन को देश रतन कहलाएंगे

राह में मुश्किल आएगी पर आगे बढ़ते जाना है
मरते दम तक हम सब को अपना फ़र्ज़ निभाना है
चावला, न्यूटन, कलाम या बापू सब ये एक दिन बच्चे थे
काम करेंगे हम भी ऐसा देखते सब राहजाएंगे
जोश है जज़्बा कुछ करने का...........................

मम्मी, पाप, दादी, नानी सबका दिल बहलाता हूँ
नन्हां मुन्ना राही हूँ पर मुस्तक़बिल कहलाता हूँ
इज़्ज़त शोहरत मिलती है बस पढ़े लिखे इंसानों को
हम बच्चे हैं घर की रौनक़ रौशन जग करजाएंगे
जोश है जज़्बा कुछ करने का...........................

पंछी हम आज़ाद वतन के फूल हैं ख़ुशबूदार चमन के
है संकल्प ये लक्छ्य हमारा चमकूँ गगन में बनकर तारा
मिटटी ये ज़रखेज़ है नादिर इसे न बंजर तुम समझो
सिंचाई तो करके देखो हरे भरे होजाएंगे
जोश है जज़्बा कुछ करने का...........................

By: नादिर हसनैन

Wednesday, February 8, 2017
Topic(s) of this poem: goals
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