साथ रहते सदा, आसमाँ वे तकते रहते हैं।
जाने क्या सोच-सोच, वे मुस्कुराते रहते हैं।।
ख्याल में क्या रहते, उनके जुदा मन सदा,
इसीलिए उनकी आँखें, ऊपर ओर लखते हैं।
कभी-कभी नींद भी लेती, उनको आगोश में,
तब भी उनके अरुण-अधर, करतब करते रहते हैं।
अधराधर रहते बँद, उमड़ता रहता सदा तूफान,
लेकिन जब कुछ बोल पड़ते, प्यार उमड़ पड़ते हैं।
नयनों को हेरो मेरी ओर, कह दो बस इक इशारे से,
'नवीन'तेरे अधर-मिलन हेतु, हम तड़पते रहते हैं।
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem