रंग-रोली Poem by Dr. Yogesh Sharma

रंग-रोली

आज है रंगों की होली,
खेलेंगे साथ आंख मिचोली,
करेंगे भरपूर ठीठोली,
बांधे रखना अपनी चोली।

ना बचा पायेगी तेरी टोली,
ना सुनेगा कोई हिचकोली,
दिल में छुपी सपनों की रंगोली,
बाहर आ जा करें अठ्खेली।

भुला दे सारे रंजो-गम ये रैली,
लुभाती हमेशा रंगों की झोली,
धो डाले, सारे नफरतों की मैली,
पूरी कर चाहत, भर दे मेरी कौली।
दे तज़गी, बनके मेरी हम जौली,
घुल जा मेरे रंगों में, बन कर गोली।

रंग-रोली
Thursday, September 17, 2020
Topic(s) of this poem: religion
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