कितनी परतें Poem by Kezia Kezia

कितनी परतें

Rating: 5.0

कितनी परतें जिंदगी की

अभी बाकी है उधड़नी

सभी परतें खुलती जाएंगी

कितनी सुबहे शामों में बदलेंगी

कितनी रोशनी को अंधेरों से रूबरू होना है

कितने चौराहों में फसना अभी बाकी है

कितने लम्हों को सदियों में बदलना है

कितनी लहरों को किनारों का रुख करना है

कितनी मजलिसों को ख्वाम्खां होना है

कितनी उम्मीदों को धराशाई होना है

कई राजा और रानी की कहानियां बाकी हैं

कई परियों के किस्से भी बाकी हैं

वक़्त के दरिया में कितने गोते और लगाने बाकी हैं

परत दर परत बेहिसाब खुलती जाएगी

और जिन्दगी यूँही बहती जाएगी

परतें तो जिंदगी की हैं, लेकिन

जिंदगी के बाद तक उधडती जाएंगी

***

Friday, September 18, 2020
Topic(s) of this poem: life
COMMENTS OF THE POEM
M Asim Nehal 19 September 2020

शायद इसी का नाम है ज़िन्दगी।।।।। एक के बाद एक परत और एक के बाद एक मंज़िल, इस राह पर सभी को चलते जाना है एक खूबसूरत कविता दिल को छु गयी

1 0 Reply
Kezia Kezia 22 September 2020

kavita pasand krne k liye ati dhanyawad

0 0
Varsha M 18 September 2020

Nayab sooch. Ye aanishchitta sayad zindagi ko aage badhati jati hai.

0 0 Reply
Kezia Kezia 22 September 2020

thanks for liking my poem

0 0
Sharad Bhatia 18 September 2020

बेवजह सी जिन्दगी कुछ उलझी, कुछ सुलझी जाने कितनी परते उधडी एक बेहतरीन कविता एक बेहतरीन कवित्री के द्वारा

0 0 Reply
Kezia Kezia 25 September 2020

thanks for liking my poetry

0 0
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success