कितनी परतें जिंदगी की
अभी बाकी है उधड़नी
सभी परतें खुलती जाएंगी
कितनी सुबहे शामों में बदलेंगी
कितनी रोशनी को अंधेरों से रूबरू होना है
कितने चौराहों में फसना अभी बाकी है
कितने लम्हों को सदियों में बदलना है
कितनी लहरों को किनारों का रुख करना है
कितनी मजलिसों को ख्वाम्खां होना है
कितनी उम्मीदों को धराशाई होना है
कई राजा और रानी की कहानियां बाकी हैं
कई परियों के किस्से भी बाकी हैं
वक़्त के दरिया में कितने गोते और लगाने बाकी हैं
परत दर परत बेहिसाब खुलती जाएगी
और जिन्दगी यूँही बहती जाएगी
परतें तो जिंदगी की हैं, लेकिन
जिंदगी के बाद तक उधडती जाएंगी
***
Nayab sooch. Ye aanishchitta sayad zindagi ko aage badhati jati hai.
बेवजह सी जिन्दगी कुछ उलझी, कुछ सुलझी जाने कितनी परते उधडी एक बेहतरीन कविता एक बेहतरीन कवित्री के द्वारा
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शायद इसी का नाम है ज़िन्दगी।।।।। एक के बाद एक परत और एक के बाद एक मंज़िल, इस राह पर सभी को चलते जाना है एक खूबसूरत कविता दिल को छु गयी
kavita pasand krne k liye ati dhanyawad