हे प्रियतम! हे प्राणपते! हे देव मधुरेश्वरम Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

हे प्रियतम! हे प्राणपते! हे देव मधुरेश्वरम

हे प्रियतम! हे प्राणपते! हे देव मधुरेश्वरम
हे राधेश! करुणासागर! मधुर मूर्ति मँगलम।।
मधुर करुण नयन कँजम्, मधुर श्रुति कुँडलम्।
हेआजानुबाहुँ परम विशालम्, माम् रक्षतु सदा ।।

Saturday, March 18, 2017
Topic(s) of this poem: religious
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