मोरे अपराध सों भयोभारी दुख तोहि,
नहिं जानत प्यारे, , तुम किते गयो हौं।
दरश देहु मोहि, लीजिये अपनाय नेकु,
तुम्हें मनायबे में असमरथ भयो हौ ।।ं
तोर तन मन सुन्दर, सुकुमार शुचि,
मन महँ करुणा प्रेम आसव भर्यो हौं।
छाड़ि देहु मान, सामने आऊ भगवान,
'नवीन' अब जात नहिं, विरह सह्यो हौं।।
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem