हिंसा का रास्ता छोड़ो...! Poem by Kumarmani Mahakul

हिंसा का रास्ता छोड़ो...!

Rating: 5.0

ओह डियर मैन,
आपका नाम कई महिला नामों में है,
और हम जानते हैं कि आप यहां मौजूद हैं,
आप कई नामों से लिख रहे हैं
और आप यहाँ काव्यगत राजनीति कर रहे हैं,
अच्छे कवियों को बदनाम करने का आपका बुरा इरादा है।
लेकिन, आपको याद है,
आप कभी भी अपने बुरे कर्म में सफल नहीं होंगे।

आपके लिए हिंसा का रास्ता छोड़ना बेहतर है।
आपको भगवान के सामने आत्मसमर्पण करना चाहिए
और आपको शांति महसूस करनी चाहिए।

© Kumarmani Mahakul,30 July 2020. All rights reserved.

Thursday, July 30, 2020
Topic(s) of this poem: social injustice,violence,war and peace
COMMENTS OF THE POEM
Chandrasekhar Kushwaha 03 October 2020

मैंने अभी यह कविता पढ़ी है। किसी को हिंसा पसंद नहीं है। आपने सही बात कही है। हमें शांति से रहना चाहिए। हमें हिंसा छोड़ देनी चाहिए। आप एक सच्चे कवि हैं।

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Mehta Hasmukh Amathalal 08 August 2020

Nice one ire beautifully narrated.. clear 10 बुराई छोडो शनिवार, ८ अगस्त २०२० पोएम हंटर पर आप जो सब जान गए अब आपके भागने की दिन आ गए इतना सुनिश्चित कर लेना की कालिख ना पोती जाय अपना चेहरा छिपाने का वक्त कभी ना मिल पाय डॉ. जाड़ीआ हसमुख

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M Asim Nehal 31 July 2020

बुरे कर्मों का नतीजा सदैव बुरा ही होता है बहुत सही कहा आपने।Let the better sense prevail.10 for this poem.

1 0 Reply
Rajnish Manga 30 July 2020

A very sensible piece of friendly advice. Thanks.

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Kumarmani Mahakul

Kumarmani Mahakul

Gandam, Dist-Deogarh, Odisha, INDIA
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