"कुछ यार"
कुछ यार मेरा भी ग़म भूला जाते हैं,
जब कभी भी जिंदगी मे अकेला बैठा हूँ ।।
तो बस धीरे से गले लगा जाते हैं,
कुछ यार मेरा भी ग़म भूला जाते हैं..! ! !
पूछते हैं "सूकून" हैं?
और बस "सुकून" दे जाते हैं।।
कुछ यार मेरा भी ग़म भूला जाते हैं, ..! ! !
जब पूछता हूँ "जिंदगी" से कि
तुझसे "शिकायतें" बहुत हैं
तब धीरे से गले लगाकर सारे शिकवे" दूर कर जाते।।
कुछ यार ही हैं, जो जिंदगी भर,
साथ देने की नहीं।।
साथ निभाने की बात कर जाते हैं...! ! !
कुछ यार मेरा भी ग़म भूला जाते हैं...! !
वो कुछ यार ही हैं, कि जब मैं,
जिंदगी की धूप मे सिक रहा होता हूँ।।
तब वो मुझे ठंडा कर जाते है...! !
जब मेरा "रोने" का मन करता,
बस धीरे से गले लगाकर मेरे साथ "रो" जाते हैं..! !
जब मेरे"हँसने" का मन करता हैं,
तो मुझे"हँसाने" मे अपनी पूरी कायनात लगा देते हैं।।
कुछ यार मेरा भी ग़म भूला जाते हैं...! ! !
कुछ यार ही हैं, कि जब भी मैं,
गरीबी मे होता हूँ,
तो भी मुझे अमीर बताते है
अपनी जेब के पैसे, मेरी जेब मे डालकर
मेरा मान बढ़ाते है।।
माना जिंदगी बहुत "हसीन" हैं,
पर यह इसे और भी "हसीन" बना जाते हैं...! ! !
वो कुछ यार ही हैं मेरे जो,
मुझे आज भी बच्चा बताते हैं,
खुद "दारू" पीकर मुझे "लस्सी" जो पिलाते हैं..! ! !
कुछ यार मेरा भी ग़म भूला जाते हैं...! ! !
एक प्यारा सा एहसास: -
"अपने कुछ यारों" के लिये अपनी कलम से..(शरद भाटिया) ! ! !
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Wah wah, yaar hote hi hai dil ka bojh halka karne ke liye....Bahut khoob ehsaas.5 Stars