कुछ महोलत Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

कुछ महोलत

कुछ महोलत

जीत हो गई तो क्या मिला?
अपने दिल को शुकुन मिला
पर दिल को फिर भी आराम कहाँ
जीत तो वही है जहाँ मिलता है ाकाः और जहां।

मार कर यदि सुख मिलता
सम्राट अशोक कभी गद्दी ना छोड़ता
अहिंसा का मतलब नहीं जानता
और अपनी मनमानी करता

जीवन एक जरिया है
दुःख का दरिया है
फिर भी हमें लगाव है
चाहे कितना भी तनाव है।

हम डुबे हुए है
माया के दुलारे है
सब चीज़ हमें चाहिए
अब आप ही कहिए!

होता हमें ना दुःख
यदि मिल जाता भैतिक सुख
साथ में ले जा सकते सब धनदौलत
और मांग लेते कुछ महोलत

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Mehta Hasmukh Amathalal 05 October 2017

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Mehta Hasmukh Amathalal 05 October 2017

कुछ महोलत जीत हो गई तो क्या मिला? अपने दिल को शुकुन मिला पर दिल को फिर भी आराम कहाँ जीत तो वही है जहाँ मिलता है ाकाः और जहां। मार कर यदि सुख मिलता सम्राट अशोक कभी गद्दी ना छोड़ता साथ में ले जा सकते सब धनदौलत और मांग लेते कुछ महोलत

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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