ग़फ़लत की चकाचौंध में मदहोश है दुनियां
बेहोश को भी होश में लाएंगे ज़लज़ले
एक पल में ख़ुदा चाहे तो दुनियां को मिटा दे
एहसास हर बशर को दिलाएंगे ज़लज़ले
क़ुदरत की सरज़मीन से खिलवाड़ मत करो
ज़ुल्मो सितम बढ़ेगा तो आएंगे ज़लज़ले
अल्लाह के घर देर है अन्धेर नहीं है
इन्साफ़ एलाही का दिखाएंगे ज़लज़ले
हक़दार का हक़ छीन कर तड़पा ना ऐ 'नादिर'
बातिल का सोकूं, नीन्द उड़ाएंगे ज़लज़़ले
: नादिर हसनैन
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