हम आपकी अदा का कब.तक इँतजार करें,
केवल आप चुप देखेंगे या खुद इजहार करें।।
आपके इरादे-वादे का तो हम यकीन करते,
कुछ मेरे भी कहने सुनेे का हम इश्तहा करें।।
नाज -नखरे का अनदेखा न किया अबतक।
आप रहमे-दिल से मुझे भी थोड़ा प्यार करें।।
हर लम्हे हम हुजूर का गिला-शिकवा सुनते।
आप भी चहल -कदमी करने में न इँकार करें।।
आप -हम दोनों ही एक दरख्त के दो डाल हैं।
'नवीन'दरख्वास्त मेरी, क्यों न आप अँकवार भरें!
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