चुपके चुपके Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

चुपके चुपके

चुपके चुपके

यदि में जानती
पर में नहीं मानती
मेरा प्यार है अनमोल
कौन लगा सकता है उसका मोल?

कोई भी नेकदील
दे बेठेगा दिल
दिल को ना समजाना
नहीं तो हो जाएगा अफ़साना।

कैसा भी हो जालिम
हम बने रहेंगे हकिम
हम देंगे दिल का मरहम
फिर बने रहेंगे हमदम

नहीं कोई रहा अछूता
ये है हमारा वादा
हम भी जान दे देंगे
पर पीछे नहीं हटेंगे।

हमें पता नहीं
हमारे बीना आप रह सकते है या नहीं!
हम तो दिल दे चुके
बस अब नहीं शांत रहेंगे चुपके चुपके

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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