चुपके चुपके प्यार Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

चुपके चुपके प्यार

चुपके चुपके

यदि में जानती
पर में नहीं मानती
मेरा प्यार है अनमोल
कौन लगा सकता है उसका मोल?

कोई भी नेकदील
दे बेठेगा दिल
दिल को ना समजाना
नहीं तो हो जाएगा अफ़साना।

कैसा भी हो जालिम
हम बने रहेंगे हकिम
हम देंगे दिल का मरहम
फिर बने रहेंगे हमदम

नहीं कोई रहा अछूता
ये है हमारा वादा
हम भी जान दे देंगे
पर पीछे नहीं हटेंगे।

हमें पता नहीं
हमारे बीना आप रह सकते है या नहीं!
हम तो दिल दे चुके
बस अब नहीं शांत रहेंगे चुपके चुपके

COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 06 October 2017

हमें पता नहीं हमारे बीना आप रह सकते है या नहीं! हम तो दिल दे चुके बस अब नहीं शांत रहेंगे चुपके चुपके

0 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
Close
Error Success