दिन ढला हो गयी रात लो आई सुबह नई
वक़्त सदा चलता ही रहता बिना कोई विश्राम लिए
देखे कई नज़ारे भैया जीवन में इन आँखों ने
दुःख सुख दोनों देखे स्नेहमयी इस वसुन्धरा पर
कभी कंटक चुभे आकर दबे पाँव
मन की सुकोमल पंखुड़ियों पर
तो कभी फैला दी मखमली चादर
देकर सुख से भरे वो मीठे मीठे लम्हे
आह्लादक पल जब मिले झूमा चमन तमाम
संस्मरण के पल दे जाते कभी लबों पर मुस्कान
या दे जाते आंसू के कुछ कण मेरी पलकों पर
फिर से वक़्त आ रहा खुशियों भरा दोस्तों
चुरा के संजो लेना वो पल दीपावली के
दीयों की रोशनी से चमका लेना अपना मन
जब देख किसी का दुःख द्रवित मन हो जाये तेरा
सहला कर उसकी पीड़ा तू करना स्नेह का सिंचन
नए वर्ष में खुद से यह वादा कर ले
तू न दुखायेगा भविष्य में किसी का भी मन....
दे रहे सन्देश ये जगमगाते दिए तुझे, सिख ले मुझसे
कैसा जला जाता है दूजों के लिए।.
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Time of festival has arrived. This night will glow with glitter of light. Diwali will bring new hopes and perspectives. Very nicely penned poem is shared here is interesting. Wishing you and your family a very Happy Diwali...10
Thanks alott mr. Kumarmani mahakul ji.. Sorry for to late reply.