'तेरे वजूद से वजूद हमारा है...तू है तो हर पर्व प्यारा है..
तेरे बिना हम कुछ भी नही...तुझ से ही वतन हमारा है'।
- यासीन मिर्ज़ा
सुनहरा मौक़ा
वो हमेशा रहते है चौकन्ने
और नहीं खोलते अपने पन्ने
सदैव मुस्तेद पर जान खतरे में
हमेशा रहते है दुश्मन के घेरे में।
जानपर खेल जाते है
और अपनी जान न्योछावर कर देते है
दिवाली हो या होली
सदैव चलती रहती है गोली।
पता नहीं कौनसी मिटटी के बने है?
देश के हर वासी अपने है
ना कोई धर्म की उपेक्षा
और नही किसी से कोई अपेक्षा।
घरवाले आँखे गड़ाए देखते रहते है
वैसे तो घर आते जाते है
पर आजकल माहौल बदला बदला है
पता नहीं दुश्मन कब बदला लेने आ जाता है।
वो खेलते है दुश्मन के साथ गोली
इसके लिए नहीं लगानी पड़ती है बोली
गरीबो का हमेशा रहता है भगवान् बेली
जवानो की इसलिए तो शाख है फैली।
धरती का रहता है बिछौना
भारत का मोर्चा समाले है कोना कोना
हम सब उनकी कदर करे
आदर से देखे और सन्मान करे।
'शहीदी को गले लगाना' एक सुनहरा मौक़ा होता है
जब भी जवान शहादत के अधीन हो जाता है तो अफ़सोस होता है
पीछे बीवी है और बच्चे है और सबका पालन करना मुश्किल में पड जाता है
राजकारणी और देश के लोगो का मन समझना कठिन सा काम हो जाता है।
शहीदी को गले लगाना एक सुनहर मौक़ा होता है जब भी जवान शहादत के अधीन हो जाता है तो अफ़सोस होता है पीछे बीवी है और बच्चे है और सबका पालन करना मुश्किल में पड जाता है राजकारणी और देश के लोगो का मन समझना कठिन सा काम हो जाता है।
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
Aasha Sharma Salute Like · Reply · 1 · 3 hrs Remove