ज़िन्दगी की जंग Poem by C. P. Sharma

ज़िन्दगी की जंग

ज़िन्दगी की जंग

हम गुलाब हैं
कांटोंके संग खिलते हैं
माखन से मुलायम हैं
मधानी के थपेडे सहते हैं

हिना की तरह
पत्थरों पे घिसे हैं
तभी तो सजनी के हाथों
मेहंदी से सजे हैं

ज़िन्दगी की हर जंग में
नायक की तरह लडे हैं
तभी तो हुमहमा के
रंगीनियों के बीच खड़े हैं

मुसीबतों से मत घबराओ
उन पे पूरी तरह हावी हो ज़ाओ

ज़िन्दगी की जंग
Tuesday, December 12, 2017
Topic(s) of this poem: life,struggle
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C. P. Sharma

C. P. Sharma

Bissau, Rajasthan
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